सोमवार, 10 अक्तूबर 2022

                                 रास्ता अपना हो............. 


रास्ता  अपना हो सफर अपना हो 

हर मंजिल के राही का बस यही सपना हो | 


गहरी खाइयाँ हो या हो दुर्गम पहाड़ ,

सपाट मैदान हो या विस्तीर्ण पठार ,

सश्य श्यामल सघन वन हो या मरुभूमि थार ,

चलते ही जाना तुम दूरी चाहे जितना हो | 

रास्ता अपना  .... ........ 


अपनी जीवन गाड़ी के मालिक स्वयं आप हो ,

किसी को भी चाहे जितना संताप हो ,

रह अडिग बढ़ाते रहना अपने पदचाप को ,

हर तरफ आपके पदचिन्हों की छाप हो ,

मंजिलों की मरीचिका से आगे यदि मुसाफिर बनना हो ,

रास्ता अपना हो.......... 



                                        जागेश्वर उत्तरखंड में                                             

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