रविवार, 18 नवंबर 2012

कॉलेज की ऑटोनोमी



शहर की गलियों -कूचों पर ,
छात्रों के मन मष्तिस्क पर ,
आइ-नेक्सट,जागरण ,उजाला और हिन्दुस्तान के पृष्ठों पर ,
कॉलेज की ऑटोनोमी छाई हुई थी ।

हमने भी पूछा यार ये ,ऑटोनोमी कौन सी चिड़िया का नाम है ?
अपने गोरखपुर की आइआइटी में ,उसका भला क्या काम है ??
सब बोले यार अपने इन छोटे-छोटे खयालों से बाहर निकलो ।
गोरखपुर नहीं अब प्रदेश की आइआइटी होगी ये ,
समय के साथ अपने आप को बदलो ।।

हर बार की तरह ही इस बार भी ,
कॉलेज सफाई अभियान चला ।
यूजीसी एआइसीटीइ की टीमें आई ,
कॉलेज को ऑटोनोमी का ईनाम मिला ।

अनुदान मिले ,अधिकार भी मिले ,
हमने भी सोचा यार किस्मत बदल गयी ।
हमारी भी और उन बेचारी मशीनों की भी ,
जो आज संग्राहालयी कलाकृति में तब्दील हो चुकी हैं ।

हर बैच के छात्रों को ,
जिनका दर्शन कराया जाता है ।
'आज ये दस-बीस सालों से बंद पड़ी है ',
यही ज्यादातर बताया जाता है ।

अब तो इन विद्जनों की एड-हाक फैकल्टी से ,
छोटे से काम के लिए
दौड़ाने वाले नाकारा प्रशासन के झोल-झालों से ,
और मेस के गड़बड़घोटालों से ,
हम लोगों को मुक्ति मिली ।
यह सोच कर अत्यधिक ख़ुशी मिली ।

मैंने भी अपने घर बताया ,
पड़ोसियों को भी बताया ।
प्राइवेट कॉलेज के दोस्तों पर अपना रोब चलाया ।
अरे भाई !यही तो मौके होते हैं सबको बताने के ,
हमने भी कुछ साल पहले इक अच्छा काम किया था ।
आइआइटी की तैयारी का ये कॉलेज ईनाम मिला था ।।

एक साल बीत गया खुशियाँ मनाते ,
हालत बद से बदतर होती गयी ।
हमारे नव परिवर्तन की आस ,
बस आस बनकर रह गयी ।।

सुना है ,
कॉलेज अब विश्वविद्यालय बनने जा रहा है ,
फिर से नई खुशियाँ मनाने के लिए तैयार हो जाओ मेरे दोस्तों ,
हमारे मुख्यमंत्री साहब का एलान आ रहा है ।।