सोमवार, 31 दिसंबर 2012

नववर्ष आगमन मंगलमय हो .........

आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !!

               दोस्तों !जिन्दगी के रहगुजर पर चलते हुए आज हम फिर से एक पड़ाव को पार कर रहें हैं ।जहाँ बीता हुआ वर्ष कुछ खट्टी ,कुछ मीठी तथा कुछ कड़वी यादों को हमारे जेहन में वसाकर हम सभी को अलविदा कह रहा है ,वहीँ एक नया साल कुछ पीड़ा को सजोए हुए ,तथा कुछ उमंग व उत्साह को अपने में समेटे हुए हमारे स्वागत की तैयारी कर रहा है ।

               बीता साल जहाँ हमारे समाज में व्याप्त भयानक नृशंसता ,पाश्विकता व अमानवीयता का आइना हम सभी को जाते-जाते दिखा गया ,वहीं बदलाव की आस में सभी विपरीत परिस्थितियों से सड़कों पर जूझते देश के लाखों युवाओं के माध्यम से यह पैगाम भी दे गया कि आने वाले नये भारत की तस्वीर इनके द्वारा गढ़ी जायेगी ।बदलाव की एक लहर जो हमारे समाज ,हमारे देश ने पिछले सालों में महसूस की थी ,2012 में भी उसकी प्रवृत्ति सतत बनी रही । ऐसी उम्मीद भी है कि आने वाला यह नववर्ष हमारे ,हमारे समाज तथा हमारे राष्ट्र में हो रहे सकारात्मक परिवर्तनों को एक नयी दिशा व गति प्रदान करेगा और हम सभी इस बदलाव का एक हिस्सा होंगे ।दोस्तों !नए साल की यह ख़ुशी दिखावा मात्र नहीं होनी चाहिये ,वल्कि ये ख़ुशी होनी चाहिये एक नये उम्मीद की ,एक नये उत्साह की तथा नवपरिवर्तन के रँग में रँगे इन युवा चेहरों के सपनों की ।

                आज हमें यह प्रण करना चाहिये कि जो भी उत्तरदायित्व हमें हमारे समाज से ,हमारे देश से हमें मिलता है उसका निर्वहन हम पूर्ण निष्ठा तथा ईमानदारी से करेंगें ,  हमारे स्वतंत्रता आन्दोलन के क्रान्तिकारियों तथा हमारे जननेताओं नें जिस भारत का सपना देखा था उसे पाने की दिशा में हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे ।दोस्तों ! कल किसी ने नहीं देखा है ,हाँ सुनहरे कल के निर्माण के लिए हमारे पास वर्तमान है ।और आज यदि हम अपने वर्तमान के निर्माण से विमुख होंगे तो आने वाला कल हमें कभी माफ़ नहीं करेगा ।अतः अपने सुनहरे कल के सपनों को सजोकर आज और अभी से हमें इस दिशा में कदम बढ़ाने चाहिये ।यह समय बैठने का नहीं वरन अपने राष्ट्र ,अपने समाज व अपने लिये कुछ करने का है ।इस दिशा में जिन लाखों युवाओं ने जो आवाज आज बुलंद की है ,यह आवाज और तेज होनी चाहिये ।हम पर ,आप पर व हम सभी पर यह दायित्व है कि समय के साथ ,समाज की हर एक बुराई पर एवं सत्ता के हर एक दंभ भरे व्यवहार पर यह प्रतिध्वनि सतत गूंजनी चाहिये ।और अंत में मै अपनी कुछ पुरानी लाइनें पुनः दुहराना चाहूँगा -------
                   इस नये सहर की वेला पर ,
                   करिये नव सूरज को प्रणाम ।
                   विकरित नव रश्मि जहाँ पँहुचे ,
                   आह्वान करो हर नगर ग्राम ।
                   जगत गुरू के आसन पर ,
                   जनतंत्र के ये है जनभक्षक ।
                   फूंकों नवबिगुल है क्रान्ति नयी ,
                    भारत माँ के हो तुम रक्षक ।।

                                                                     (सच्चिदानन्द तिवारी )

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