ये सफर चलता रहेगा ,मोड़ आयेंगे नये ,
राह के राही डटा रह ,मेघ छाएंगे नए ।
जलजलों का खौफ या हो गर्म सेहरा की तपिश ,
पाँव को आगे बढ़ाना ,सहर आयेंगे नए ।
काफिले हर मोड़ वीथी पर सदा मिलते रहेंगे ,
हर तरह के साथियों के साथ हम चलते रहेंगे ।
क्या हुआ जो साथ छूटे ,डोर रिश्तों की न टूटे ,
पार पैमाने को कर हम ,छाप छोड़ेंगे नए । ।
- सच्चिदानन्द तिवारी
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