रास्ता अपना हो.............
रास्ता अपना हो सफर अपना हो
हर मंजिल के राही का बस यही सपना हो |
गहरी खाइयाँ हो या हो दुर्गम पहाड़ ,
सपाट मैदान हो या विस्तीर्ण पठार ,
सश्य श्यामल सघन वन हो या मरुभूमि थार ,
चलते ही जाना तुम दूरी चाहे जितना हो |
रास्ता अपना .... ........
अपनी जीवन गाड़ी के मालिक स्वयं आप हो ,
किसी को भी चाहे जितना संताप हो ,
रह अडिग बढ़ाते रहना अपने पदचाप को ,
हर तरफ आपके पदचिन्हों की छाप हो ,
मंजिलों की मरीचिका से आगे यदि मुसाफिर बनना हो ,
रास्ता अपना हो..........
जागेश्वर उत्तरखंड में